बिहार से उत्पन्न हुए अशोक चक्र की गाथा है महान, जानें क्या है इसका इतिहास ?

अशोक चक्र जिसके नाम से ही इसके पुरे इतिहास का पता लगाया जा सकता है।  यदि हम इतिहास के पन्नों को पुनः दोहराएं तो हम यह जान पाएंगे की अशोक चक्र का रहस्य कितना पुराना और महत्वपूर्ण है।

तरक्की के मामले में आज भारत किसी भी देश से पीछे नहीं है क्योंकि 28 राज्यों को अपने अंदर समेट कर रखने वाला इस भारत ने कई इतिहासों को अपने अंदर दबा कर रखा हुआ है।  सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसमें मौजूद इसके राज्यों ने भी अपने अंदर करोड़ों रहस्यों को छुपा कर रखे हुए हैं। लेकिन क्या आप उस चक्र के बारे में जानते हैं जो भारत के तिरंगे की शोभा बढ़ाता है तो वहीं दूसरी ओर सरहद पर लड़ने वाले व्यक्तियों को उससे सम्मानित भी किया जाता है ? जी हां हम उसी अशोक चक्र की बात कर रहे हैं जिसका सीधा संबध बिहार से है।

 

ऐसे बिहार से मिला भारत को उसका राष्ट्रीय चिह्न 

अशोक चक्र जिसके नाम से ही इसके पुरे इतिहास का पता लगाया जा सकता है।  यदि हम इतिहास के पन्नों को पुनः दोहराएं तो हम यह जान पाएंगे की अशोक चक्र का रहस्य कितना पुराना और महत्वपूर्ण है। बिहार का पहले नाम मगध था जिसपर मौर्य साम्राज्य के राजा चन्द्रगुप्त मौर्य और चकर्वर्ती अशोक सम्राट ने राज कर बिहार के इतिहास को ही बदल डाला। सम्राट अशोक ने बिहार की छवि का पूरी दुनिया में डंका बजाया, और बिहार समेत कई अन्य राज्यों में मौर्य साम्राज्य के  प्रतीक यानी अशोक स्तम्भ का निर्माण करवाया। इसके बाद जब भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिली तब स्वतंत्र भारत ने इसे राष्ट्रीय चिह्न के रूप में अपनाया।  

यहां करते हैं अशोक चक्र का उपयोग

  • भारत के तिरंगे में बच्चों बीच अशोक चक्र नीले रंग में मौजूद है। 
  • रुपयों पर भी अशोक चक्र और अशोक स्तम्भ का इस्तेमाल किया गया है।  
  • अशोक चक्र में मौजूद्द 24 तिल्लियां मानव जीवन के 24 गुणधर्मों को दर्शाती है।  
  • सैनिकों को वीरता से सम्मानित करने के लिए अशोक पदक दिया जाता है।
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