राजनीति और सिनेमा जगत का एक ऐसा इतिहास रहा है जिसको लेकर आज भी चर्चाएं की जाती है। सत्ता की इस दुनिया में बॉलीवुड के कई ऐसे सितारें हैं जिन्होंने अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की थी। कई लोगों का सफर कामयाब रहा तो वहीं कई ऐसे सितारे हैं जो इस सियासी जंग में हार गए । बॉलीवुड दुनिया के कई ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपने एक्टिंग करियर के बाद अपना रुख राजनीति की तरफ मोड़ लिया । लेकिन कुछ ऐसे भी कलाकार रहे जिनका अभिनय इस सत्ता की कुर्सी पर कुछ खास नहीं चला । और आज हम उन्हीं नेताओं के बारे में आपको बताने वाले हैं जिन्होंने अपने फिल्मी करियर के साथ राजनीति में भी कदम रखने के बारे में सोचा ।
अमिताभ बच्चन
बिग बी अमिताभ बच्चन का फिल्मी करियर इतना शानदार रहा है जिनका सामना आजतक कोई भी नहीं कर पाया। लेकिन अपनी फ़िल्मी दुनिया को छोड़ कर बिग बी ने राजनीति में जाने का भी सोचा है । आपको बता दें की बच्चन परिवार का गाँधी परिवार के साथ काफी पुराना रिश्ता रहा है।इतना ही नहीं बल्कि बिग बी की देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से काफी अच्छी दोस्ती थी। मीडिया रपोर्टस की माने तो राजीव गांधी के कहने पर ही अमिताभ बच्चन ने राजनीति में अपने पैर जमाने का सोचा था। जिसके बाद वो 1984 में लोकसभा चुनाव जीत कर इलाहाबाद से सांसद की कुर्सी पर भी बैठे थे। लेकिन ये पल यहां ठहरा नहीं सांसद बनने के बाद कई नेतागण उनकी राजनीति में दखलंदाज़ी करने पर राजीव गांधी से शिकायत करने लगें। जिसके बाद ही उन्होंने सत्ता की इस दुनिया से हाथ छुड़ाकर अपना फ़िल्मी करियर संभालने का फैसला लिया।
धर्मेंद्र
88 साल के मशहूर एक्टर धर्मेंद्र ने अपने करियर के साथ-साथ राजनीति में भी काफी ज़ोर लगाया था। लेकिन उन्हें ये सत्ता की कुर्सी भायी नहीं। अभिनेता धर्मेंद्र ने बीजेपी की ओर से साल 2004 से 2009 तक राजस्थान के बीकानेर के लिए सांसद के रूप में कार्य किया। लेकिन कुछ समय बाद ही धर्मेंद्र कुमार ने इस जगत से तौबा कर लिया।
गोविंदा
फिल्म जगत के हीरो नंबर 1 और बेहतरीन डांसर गोविंदा ऐसा नाम है जिनको टक्कर देने वाला आज तक कोई भी एक्टर बॉलीवुड को नहीं मिला। गोविंदा ने अभिनेता से लेकर नेता बनने तक में बेखूबी से अपना अभिनय किया। लेकिन गोविंदा की राजनीतिक कहानी काफी फीकी पड़ गयी। बता दें कि गोविंदा ने साल 2004 में अपना राजनीतिक करियर की शुरु किया था। गोविंदा ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से मुंबई लोकसभा में चुनाव लड़ा। उन्होंने जीत भी हासिल की लेकिन वो राजनीत के साथ-साथ अपने फ़िल्मी करियर को संभाल नहीं पा रहे थे। जिस कारण उन्होंने ये जगत छोड़कर दोबारा अपने फ़िल्मी करियर को ही चुना।
संजय दत्त
संजय दत्त जिनकी जिंदगी हमेशा से ही विवादों से घिरी रही। एक्टर संजय दत्त के पिता सुनील दत्त भी बॉलीवुड के महान अभिनेताओं में से एक थे जिन्होंने फिल्मी करियर के साथ-साथ समाजसेवा में भी कोई कमी नहीं छोड़ी। इसी रास्ते पर संजय दत्त ने भी चलने का सोचा, जहां उन्होंने अपना राजनीतिक सफर 2009 में शुरू किया था। आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने उन्हें लखनऊ से लोकसभा चुनाव की टिकट दी थी। इस चुनाव प्रचार के दौरान संजय दत्त पूरी तरह से राजनेता की भाषा बोलने लगे थे। जिसमें उन्होंने टाडा और पोटा कानून को लेकर भी खुलकर बयानबाजी की थी। लेकिन उनकी किस्मत राजनीति में कुछ ख़ास नहीं चली जहां संजू बाबा का चुनावी पर्चा सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। फिर वे राजनीति से काफी दूर हो गए।