11 दिसंबर 2019 में पास किये गए CAA कानून को अब 11 मार्च 2024 के दिन भारत में लागू कर दिया गया। ये कानून उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो गैर-मुस्लिम होने के साथ-साथ भारत में सदा के लिए रहने की इच्छा रख रहे थे। इस कानून के लागू होने के बाद से ही देश में कई बदलाव होने वाले हैं। जहां अब पड़ोसी मुल्क के गैर-मुस्लिम नागरिक भारत की आम जनता के बीच रहते हुए भाई चारा की नई मिसाल कायम करेंगे। इस कानून के लागू होने के बाद से ही कई लोगों के मन में जनसंख्या वृद्धि को लेकर सवाल उठ रहे थे। हालांकि ये सवाल आना जायज़ भी है क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या पहले से ही पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा थी और CAA लागू होने के बाद और बढ़ जायेगी। इसलिए आइये जानते हैं CAA का भारत की जनसंख्या पर क्या असर पड़ेगा ?
CAA कानून को क्यों लागु किया गया इसका मकसद क्या है ? इस सवाल के अगर तह तक जाया जाए तो हम ये जान पाएंगे की भारत के अलावा हमारे कई ऐसे पड़ोसी देश हैं जहाँ गैर-मुस्लिम नागरिकों को धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है और ये कानून उन्हीं लोगों के लिए राहत का एक बड़ा जरिया है जो साल 2014 से पहले भारत में बिना नागरिकता प्राप्त करे ही रह रहे थे। लेकिन कहते हैं न हर सिक्के के दो पहलु होते हैं उसी प्रकार इस कानून को लागू करने में जितनी अच्छाई है उतनी ही परेशानी भी क्योंकि CAA 2019 के लागू होने के बाद देश में आर्थिक संकट बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
पाकिस्तान में कुल मिलाकर 41,58,040 लोग गैर समुदाय से एते हैं। वहीं बांग्लादेश में 8% आबादी हिन्दू की है। और यदि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम लोगों की आबादी बढ़ा दी जाए तो इन तीनों देश में अल्पसंख्यकों की कुल संख्या 1,41,59,240 है। CAA लागू होने के बाद यदि भारत सरकार इतने लोगों को भारत की नागरिकता देती है तो भारत की कुल जनसँख्या बढ़कर 1,449,927,664 हो जायेगी। जिसका मतलब है की भारत में बेरोज़गारी दर बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक संकट भी बढ़ेगा।