भारत का हर व्यक्ति भारतीय संविधान का सम्मान करता है। इतना ही नहीं हमारा देश संविधान में मौजूद कथनों के अनुसार ही कोई कार्य करता है। जिसके चलते हर भारतीय व्यक्ति को भारत के कानून का पालन करना पड़ता है। फिर चाहे आप कितने भी बड़े व्यक्ति क्यों न हो दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में आपको कानून के साथ ही चलना होता है, यदि कोई व्यक्ति इसका उलंघ्घन करें तो उसे सज़ा भी दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं की भारत में ही एक ऐसा गाँव है जहां लोग भारतीय कानून को बिलकुल भी नहीं मानते ?
हिमाचल प्रदेश में स्तिथ है ये गाँव
भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया जिसके बाद से हम हर साल इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। आपके मन में एक सवाल तो ज़रूर ही उठ रहा होगा की 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन की कड़ी मेहनत से बने दुनिया के सबसे सुलझे हुए कानून को आखिरकार कैसे एक गाँव अपना नहीं रहा ? पर आपको बता दें की ये गाँव कहीं और नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में स्थित मलाणा गाँव है। जहां लोगों ने खुद की न्यायपालिका बना रखी है इतना ही नहीं यहाँ के लोगों ने भारतीय कानून को छोड़ कर खुद के कानून को व्यवस्थित करने के लिए अपना खुदका संसद भी बना रखा है।
गाँव में नहीं ठहर सकता बाहरी व्यक्ति
हिमाचल प्रदेश में स्थित मलाणा गाँव में भारतीय कानून लागू नहीं होता है। इस गाँव की ख़ूबसूरती के चलते हर व्यक्ति यहां घूमना चाहता है लेकिन यहां किसी भी व्यक्ति को ठहरने की अनुमति नहीं है। क्योंकि इस गाँव के कानून को ही ऐसे बनाया गया है जिसका आम भारतीय व्यक्ति द्वारा पालन करना काफी मुश्किल है। आइये जानते हैं की इस गाँव के नियम क्या कहत हैं ?
मलाणा गाँव के अटपटे नियम-
- गांव के बहार के व्यक्ति गाँव में आकर नहीं ठहर सकते।
- गांव की दीवारों का नहीं छू सकता कोई बाहरी व्यक्ति। अगर ऐसा हुआ तो उन्हें जुर्माना देना पड़ सकता है।
- गांव के संसद में होते हैं सिर्फ11 लोग।
- गाँव के एक ऐतिहासिक चौपाल में ही सारे फैसले लिए जाते हैं