नालंदा यूनिवर्सिटी के ये 5 फैक्ट्स जो कर देंगे आपको दंग, जानें अभी

427 ईस्वी में दुनिया का पहला यूनिवर्सिटी बिहार में बना जिसे आज हम नालंदा यूनिवर्सिटी के नाम से जानते हैं।  लेकिन इसका पुनः निर्माण 25 नवम्बर 2010 में करवाया गया। 

बिहार और इसका इतिहास किसी से छिपा नहीं है।  बिहार देश का वो राज्य है जहां आज़ादी की पहली गूँज उठी थी। यहां ऐसे कई तथ्य छुपे हुए हैं जोआपको हैरत में भी डाल सकते हैं।  फिर चाहे जीरो का इतिहास हो या फिर नालंदा यूनिवर्सिटी की बात।  जी हाँ ये वही विश्वविद्यालय है जो की विश्व में सर्वप्रथम बना। यदि आज किसी से भी यह पूछा जाए की कौन सा विश्वविद्यालय दुनिया का पहला यूनिवर्सिटी है तो सबके मुँह से नालंदा यूनिवर्सिटी का नाम ज़रूर निकलता है।  लेकिन क्या आपको नालंदा यूनिवर्सिटी के अंदर दफ्न उन राज़ो के बारें में पता है जिनको दुनिया से आजतक छुपाया गया हो। अगर नहीं तो आज हम आपको इस विश्वविद्यालय को लेकर 5 ऐसी बातें बताएँगे जिसके बारे में शायद ही पहले आपने कभी सुना हो।  

 

दुनिया का पहला विश्वविद्यालय नालंदा 

दरअसल 427 ईस्वी में दुनिया का पहला यूनिवर्सिटी बिहार में बना जिसे आज हम नालंदा यूनिवर्सिटी के नाम से जानते हैं।  लेकिन इसका पुनः निर्माण 25 नवम्बर 2010 में करवाया गया।  नालंदा यूनिवर्सिटी को दुनिया का पहला सर्वोत्तम विश्वविद्यालय का नाम दिया गया, जहां कई देशों के छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने आते थे।  लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब इस विश्वविद्यालय पर कई हमले किये गए। 

3 महीने तक नहीं बुझी नालंदा में लगाईं गयी आग 

ये बात है 12वीं शताब्दी की जब बख्तियार खिलजी ने इस यूनिवर्सिटी को जलाकर राख में तब्दील कर दिया था।  इस हमले में यूनिवर्सिटी के अंदर मौजूद  9 मिलियन पुस्तकें जलकर भस्म हो गयी।  आपको बता दें की ये आग करीबन 3 महीनों तक नहीं बुझी थी।  इस आग ने इतनी त्रासदी मचाई की दुनिया के सबसे रिहाइशी यूनिवर्सिटी की हालत बद से बदतर हो गयी।  

लाइब्रेरी में हर रात दिखता है खौफ 

12वीं शताब्दी में मची त्रासदी में खिलजी ने कई शिक्षकों और भिक्षुओं को मार डाला था।  कहा तो ये भी जाता है की इस यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी से आज भी वो दर्दनाक चीखें सुनाई देती है जिसके कान कई छात्र लाइब्रेरी की तरफ जानें से भी डरते हैं।  इतना ही नहीं नालंदा यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में रात को जाना मना भी है।  

10 हज़ार छात्र करते थे पढ़ाई 

नालंदा यूनिवर्सिटी आज के दौर में दुसरा सबसे पुराना ऐसा यूनिवर्सिटी भी है जहां 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ा करते थे और 2700 टीचर पढ़ाया करते थे। हैरान करने वाली बात तो ये है की इसमें 300 कमरे मौजूद थे जहां  रहना-खाना बिल्कुल फ्री था।

बाहर देश के लोग आते थे पढ़ने 

ये भारत का पहला ऐसा यूनिवर्सिटी था जहां सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया देशों समेत कई अन्य देशों के विद्यार्थी भी अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए आते थे। 

नालंदा को जलाने के पीछे का कारण 

12 वीं शताब्दी में खिलजी ने एक छोटी सी बात को लेकर इस महान यूनिवर्सिटी में आग लगाकर तोड़ दिया था और वो बात ये थी की जब वह बीमार हुए तब उन्होंने क वैद्य से अपना उपचार करवाया।  फिर वह ठीक भी हो गए लेकिंन उन्हें ये बात खलने लगी की भारत के वैद्यों के पास हकीमों से जयादा ज्ञान कैसे है ?और इसी कारण उन्होंने यूनिवर्सिटी में आग लगाकर उसे तोड़ दिया था ।

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