कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने वायनाड लोकसभा सीट को छोड़ने का फैसला कर लिया है और वह अब रायबरेली के सांसद बने रहेंगे। लेकिन पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी वायनाड से उपचुनाव में उतरने का फैसला लिया है और वायनाड के चुनाव में एंट्री लेने के बाद गाँधी परिवार की वह एक और सदस्य होगी जो साउथ से चुनाव लड़ने के लिए एंट्री ले रही हैं। हम सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे है तो आपको बता दें कि गाँधी परिवार का साउथ से भी काफी गहरा रिश्ता हैं वो कैसे चलिए आपको बताते हैं।
इंदिरा गाँधी भी कर चुकी है साउथ से राजनीति
जैसा कि हमने बताया कि गाँधी परिवार का साउथ से भी पुराना रिश्ता है वो भी इसलिए क्योंकि एक समय था जब इंदिरा गाँधी में साउथ से राजनीति किया करती थी। इंदिरा गाँधी ने 1978 का उपचुनाव कर्नाटक के चिकमगलूर से लड़ा थी जिसमे उन्होंने जीत भी हासिल की थी। इसके बाद 1980 में इंदिरा गाँधी ने आंध्र के मेडक सीट से जीत हासिल की थी। इंदिरा गाँधी के अलावा 2019 में राहुल गाँधी भी वायनाड से चुनाव लड़े थे और अब इस लिस्ट में प्रियंका गाँधी का नाम भी जुड़ गया हैं।
प्रियंका गाँधी के सामने होगी स्मृति ईरानी ?
जब से यह खबर राजनीतिक गलियारों में फैली है कि प्रियंका गाँधी वायनाड से उपचुनाव लड़ने वाली है तब से सियासी हलचल इस बात को लेकर तेज़ हो गई है कि आखिर इस सीट से भारतीय जनता पार्टी किसको बतौर उम्मीदवार के रूप में खड़ा कर सकती हैं। चर्चा तो ये भी है कि बीजेपी तेज़ तर्रार नेता स्मृति ईरानी को प्रियंका गाँधी के सामने उतार सकती हैं। भले ही इस बार अमेठी से स्मृति ईरानी कांग्रेस के नेता केएल शर्मा से हार गई हो लेकिन 2019 में उन्होंने अमेठी सीट से राहुल गाँधी को भी हरा रखा है। ऐसे में अगर बीजेपी स्मृति ईरानी को वाकई प्रियंका गाँधी के सामने चुनाव के लिए उतारती है तो यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाएगा।